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किस बात पे व्यक्ति दे रहा अपना समर्थन या पसंदगी, बता देती है उसके दिल में छुपी स्वार्थ की गंदगी। उस मतलबी की सही पहचान कर सकता सिर्फ वही, जिसके खुद के जीवन में हो सच्ची सादगी। सो� ल मीडिया पे बैठे हैं बहुत से ढोंगी और फरेबी, जिनका साथ देते अनेक बनावटी और भौतिकवादी सहयोगी। ये झूठे या पाखंडी कहते अपनी बातें, जैसे चा� नी में डूबी जलेबी, उनके खरीदे समर्थकों की झूंड देख, जुड़ जाते लोभी उर्फ़ मुर्ख सभी।

– Anuj Somany

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जितना ज्यादा व्यक्ति होता लोभी एवं स्वार्थी, उतना अधिक होते उसके साथी लालची एवं मतलबी। चाहे कितना भी उसे बचाना चाहो, वो करता अक्सर बेवकूफ़ी उसका दिमाग़ खुल जाहे, ऐसी बनायीं नहीं ऊपर वाले ने चाबी । किस्मत भी देखो कैसी-कैसी करता हैं ज्यादती ऐसे ही मूर्खो को देता उनके औकात से अधिक धन-सम्पत्ति । सच्ची बातें लगती उसे अजीब या अटपटी, जबकि झूठी लगती मज़ेदार या चटपटी। उसमे खुद को अमीर दिखाने की होती तीव्र प्रवृत्ति जिसके कारण वह पहनता सोने धातु की चेन ,अंगूठी आदि। भौतिक सुख पाने करता बेजान पत्थर और मूर्ति की भक्ति उसकी झूठी प्र� ंसा करते कई यार -रि� ्तेदार, सभी ढोंगी और बनावटी । उसे पसंद आते कपटी राजनेता, पाखंडी गुरु और फरेबी उद्योगपति, इन् बेवकूफो में ज्यादातर जोरू के गुलाम पति। इन्हीं तरह के लोगो से भरी हुई हैं यह धरती सही समझ ही नहीं आती इन को अपनी कभी गलती । ये खुदगर्ज़ खुब दीखते बैंठे ऊपर के पद और पंक्ति उन्हें सुधार दे, � ायद ब्रह्माण्ड के पास भी नहीं हैं ऐसी � क्ति ।।

– Anuj Somany

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जैसे ही दिवाली या कोई प्रमुख पर्व नजदीक आई, मीडिया में गन्दा घी, नकली खोवा, काली कढ़ाई दिन रात गयी दिखाई, जनता में भी भरी है इतनी ज्यादा मुर्खताई, कि मावा बर्फी, लड्डू-मिठाई त्याग, चॉकलेट एक-दूसरे को खिलाई, चॉकलेट कंपनियों की विक्री-कमाई वृद्धि करने की होती है पीछे चतुराई, मगर कोई समाचार चैनल नहीं दिखाएगा ये सच्चाई। हर त्यौहार पर होती है ये ही कहानी दोहराई, जहाँ परंपराओं को चालाकी से जाती है दबाई, चमकते विज्ञापनों ने अधिकतर के सोच में जगह बनाई, और असली मिठास को अधिकां� ने है भुलाई।

– Anuj Somany

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जो बनाना हो बहुतो से सामाजिक घनिष्ठ संबंध, तो अक्सर दिमाग को रखो बंद, या फिर दिल में भर लो स्वार्थ और पाखंड। अगर व्यक्ति हो वास्तव में सीधा-सच्चा और अकल्मंद, उसके सगे-सम्बन्धी ही बना देंगे अधिकतर उसकी जिंदगी झंड अगर खुदगर्ज अमीर बोले झूठ या कुछ भी उटपटांग तो भी कई मतलबी एवं मूर्ख जन हो जाते हैं रजामंद। हर तरफ फैला है ऐसा ही भसंड, जहाँ स्वाभिमानी को प्रायः मिलता है केवल दंड, और स्वार्थी लोग बन जाते हैं ज्यादातर जनता की पसंद।

– Anuj Somany

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निम्नलिखित बातों पर करें जरा गंभीरता से गौर, यदि किसी कर्मचारी को नौकरी में न टिकने का लगा है निरंतर दौर। ज़रूरी नहीं कि वह दिल से कामचोर या दिमाग से कमजोर, हो सकता है वह न हो दूसरे की तरह चोर या चाटुकार या चुगलखोर। क्योंकि अक्सर हरामखोर और ढोर (मूर्ख) नौकर ही प्राइवेट कंपनियों के मालिकों को पसंद आते हैं आमतौर। ये भी संभव है कि वह गुलामी करने से हो रहा हो बार-बार बोर, या फिर उसमें ऑफिस पॉलिटिक्स खेलने का न हो जोर। सदैव याद रखें कि सत्य वचन अधिकतर होते हैं कड़वे और कठोर।

– Anuj Somany

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यह है घोर कलयुग जहाँ झूठ बोलने वाले रहते आर्थिक रूप से मजबूत, सच कहने वालों के रि� ्ते-नाते अक्सर जाते टूट। खुदगर्ज जन संबंधों में बंधे दिखते हैं अधिकतर एकजुट, लूट-खसोट करने वालों के बने संगठनों के गुट। राजनेता अपने लाभ हेतु फैलाते धर्म-जाति की फूट, उद्योगपति और न्यूज़ चैनल करते बे� र्मी से बुरे-गंदे करतूत। ऐसे दुष्टता एवं दुष्कर्मों के मिलते हैं ढेरों सबूत, हर क्षेत्र में प्रायः ऊपर बैठे हैं बनावटी, बेईमान, बहुत स्वार्थी और बड़े धूर्त।

– Anuj Somany

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रहे यह बात सदैव स्मरण कि सो� ल ग्रुप या व्हाट्सएप ग्रुपहोता है प्रायः समाज का दर्पण। जो करता है लोगों के छिपे चरित्र का चित्रण, 80-90% लोग बैठे सिर्फ ताका-झाँकी के कारण। जो व्यक्ति होता सच्चा, सरल और जीवन व्यतीत करता साधारण वो समझ लेता है सभी के चुप्पी और गतिविधियों से उनका अंतर्मन। सारे समर्थन और प्रदर्� न दर्� ाते उनके लक्षण, कुछ प्रकरण बताते कि यहाँ होते हैं मुद्दों का राजनीतिकरण ऐसे भी हैं जिन्होंने चेहरे पर सुंदर मुखौटा कर रखा है धारण, हर भाव, हर प्रतिक्रिया से झलकता लोगो का असली आचरण।

– Anuj Somany

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समझ नहीं आता कि किस बात का बड़े संस्थान से तकनीकी स्नातक होने पर कर रहे हैं गर्व, किस खु� ी से मना रहे हैं उत्सव या पर्व? क्योंकि जिस क्षेत्र में भी देखो, कमज़ोर पढ़े-लिखे, फर्जी डिग्रीधारक, स्वार्थी चाटुकार, या B/C ग्रेड कॉलेज से अल्पांक उत्तीर्ण ही तो अक्सर बैठे दिखते मंत्री, कॉर्पोरेट जगत के बड़े अधिकारी या अफसर, और हर जाति और समाज के उच्च स्तर पर।

– Anuj Somany

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स्वार्थ में होता है अदृ� ्य चुम्बकिया � क्ति वो अपनी तरफ उन लोगों को खींचती जो होते नकली या नकारात्मक व्यक्ति मतलबी को अक्सर बहुत धन-सम्पत्ति और उच्च पद की होती प्राप्ति किन्तु उसके घेराव में कपटी समर्थकों और बनावटी साथियों की होती खूब भर्ती खुदगर्ज चाहे कितनी भी करे गलत यार-रि� ्तेदार से दूर रहने की युक्ति परन्तु उन ढोंगी एवं स्वार्थी लोगों से उसे नहीं मिलेगी छुट्टी अच्छे-बुरे स्वभाव के अनुसार न्याय करने की यही है सृष्टि की पद्धति प्रकृति या नियति के इस नीति-नियम में नहीं होती कभी कोई त्रुटि

– Anuj Somany

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